दावत
रात-कुड़ी ने दावत दी
सितारों के चावल फटक कर
यह देग किसने चढ़ा दीचाँद की सुराही कौन लाया
चाँदनी की शराब पीकर
आकाश की आँखें गहरा गयींधरती का दिल धड़क रहा है
सुना है आज टहनियों के घर
फूल मेहमान हुए हैंआगे क्या लिखा है
आज इन तक़दीरों से
कौन पूछने जायेगा…उम्र के काग़ज़ पर —
तेरे इश्क़ ने अँगूठा लगाया,
हिसाब कौन चुकायेगा !क़िस्मत ने एक नग़मा लिखा है
कहते हैं कोई आज रात
वही नग़मा गायेगाकल्प-वृक्ष की छाँव में बैठकर
कामधेनु के छलके दूध से
किसने आज तक दोहनी भरी !हवा की आहें कौन सुने,
चलूँ, आज मुझे
तक़दीर बुलाने आई है…
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