निगाहों के साये


जाँ निसार अख्तर एक बोहेमियन शायर थे। उन्होंने अपनी पोइट्री में क्लासिकल ब्यूटी और मार्डन सेंसब्लिटी का ऐसा संतुलन किया है कि शब्द खासे रागात्मक हो गए हैं। उन्होंने जो भी कहा खूबसूरती से कहा-
उजड़ी-उजड़ी सी हर एक आस लगे
जिन्दगी राम का वनवास लगे
तू कि बहती हुई नदिया के समान
तुझको देखूँ तो मुझे प्यास लगे

जाँ निसार अख्तर के बेशतर अश्आर लोगों की जबान पर थे और हैं भी। अदबी शायरी के अलावा उन्होंने फिल्मी शायरी भी बड़ी अच्छी की है जो अदबी लिहाज से निहायत कामयाब रहे।
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